जीएसटी प्रणाली के लागू होने के पहले सेल्स टैक्स या फिर स्टेट्स के वैट प्रक्रिया में भी इस तरह की व्यवस्था का उपयोग रहा है. टैक्स की कुछ पुरानी प्रक्रियाओं में भी वस्तुओं के ट्रांसपोर्टेशन के लिए पेपर पर बिल्स बनाया जाता रहा है. जैसे पहले बिल्स को पेपर पर बनाया जाता था उसी प्रकार से अब के समय पर कंप्यूटर के माध्यम से बनाया जाता है.
कंप्यूटर के माध्यम से ऑनलाइन प्रक्रिया के द्वारा बने बिल्स को ई-वे बिल कहा जाता है. जिसे कंप्यूटर पर बना के जीएसटी के नेटवर्क पर अपलोड करना अनिवार्य होता है.
ई-वे टैक्स प्रक्रिया के द्वारा 50,000 रुपए से अधिक के वस्तु या फिर सेवा कर के तहत वस्तुओं के एक स्थान से दूसरे स्थान तक परिवहन के दौरान बनाना आवश्यक रहता है. ई-वे बिल्स सभी प्रकार के समानों जैसे की नौकरी के काम के लिए भेजे गए कोई वस्तु, बिजनेस के लिए प्रयोग होने वाला पैसा, स्टॉक्स की बिक्री, कैपिटल गुड्स आदि के लिए बनाना आवश्यक रहता है. इस पोस्ट में जानेंगे कि ई-वे बिल क्या है और कैसे बनता है.
ई-वे बिल किसके द्वारा जारी किया जाता है?
बिजनेस में दो कारोबारियों के बीच होने वाले व्यापार की स्थिति में सामान को दो माध्यमों से ट्रांसपोर्ट के विकल्प उपलब्ध होते हैं.
- पहली स्थिति में : सौदे के समानों को उसके सप्लायर या फिर उसी के रिसीवर के निजी गाड़ी से भेजा जा रहा हो.
- दूसरी स्थिति में : सौदे के सामानों को किसी तीसरी पार्टी अर्थात की परिवहन सेवा के द्वारा भेजा जा रहा हो.
- कुछ इस प्रकार की दोनो स्थितियों में ई-वे बिल बनाने के लिए पात्रता के विकल्प निम्न प्रकार से उपलब्ध होंगे.
1. कारोबार के जीएसटी में रजिस्टर्ड किसी सप्लायर या फिर कारोबार में उसे प्राप्त करने वाला कोई व्यापारी, खुद के निजी वाहन से सामानों को ले जा रहा है तो इस प्रकार की स्थिति में दोनो कारोबारियों में से किसी एक को ई-वे बिल बनाना आवश्यक रहेगा.
2. सौदे के दौरान समानों को अगर परिवहन सेवा के द्वारा भेजा जा रहा हो तो इस प्रकार की स्थिति में परिवहन को देने से पहले ही उसके सप्लायर या फिर रिसीवर को ई-वे बिल बनाना आवश्यक रहता है.
अगर किसी भी प्रकार की स्थिति में सप्लायर या फिर रिसीवर के द्वारा ई-वे बिल जारी नहीं किया गया तो इस प्रकार की स्थिति में सामानों को भेजने के पहले ही परिवाहक को स्वयं ई-वे बिल को बनाना आवश्यक रहेगा. बिल में भरी जाने वाली आवश्यक जानकारियां सप्लायर और रिसीवर दोनो की ओर से दी जाएगी.
सौदे में सामानों के परिवहन होने के पहले ही ई-वे बिल को बनाना आवश्यक रहता है. इसमें कारोबारी के द्वारा खुद से जारी किया जाए या फिर परिवहन कर्ता स्वयं उसे जारी करे.
ई-वे बिल के लिए पात्रता क्या है?
- किसी भी प्रकार के कारोबार के ट्रांसपोर्टेशन के दौरान माल की कीमत 50 हजार रुपए से अधिक रहता है तो इस प्रकार से ई-वे बिल को बनाना आवश्यक रहता है.
- सौदे के सौदे में माल की कीमत अगर 50,000 रुपए से अधिक का है तो इस प्रकार की स्थिति में अगर माल राज्य में भेजा जा रहा हो या फिर किसी अन्य राज्य में ऐसी स्थिति में सबसे पहले माल के परिवहन होने से पहले ई-वे बिल बनाना आवश्यक रहता है.
- दो कारोबारियों के बीच में होने वाले सौदे में अगर माल की कीमत 50,000 रुपए से कम का रहता है तो इस प्रकार की स्थिति में सप्लायर या फिर माल को लेने वाला रिसीवर अपने इच्छा अनुसार ई-वे बिल को बना सकता है.
ई वे बिल जनरेट कैसे करे?
ऑनलाइन ई-वे बिल जनरेट करने की अधिकारिक वेबसाइट है, जिसके माध्यम से महज कुछ ही मिनट में पूरा कर सकते है.
स्टेप 1: सबसे पहले ई-वे बिल की आधिकारिक वेबसाइट ewaybillgst.gov.in को ओपन करे
स्टेप 2: अधिकारिक वेबसाइट पर अपना रजिस्टर्ड यूजर नाम, पासवर्ड और कैप्चा कोड डालकर लॉग इन करे. यदि आप इस पोर्टल पर रजिस्टर नहीं किए है, तो पहले रजिस्ट्रेशन कर लॉग इन करे.
स्टेप 3: लॉग इन होने के अब्द लेफ्ट साइड में जनरेट न्यू टैब पर क्लिक करें.
स्टेप 4: क्लिक करने के बाद वेबिल जेनरेशन फॉर्म दिखाई देगा.
स्टेप 5: इस फॉर्म में अपनी सभी आवश्यक डिटेल्स भरें.
Note: यदिआप सप्लायर हैं, तो आउटवर्ड चुनें और यदि रिसीवर हैं, तो इनवर्ड विकल्प का चुनाव करें.
स्टेप 6: इसके बाद राज्य का नाम, जीएसटीआईएन और नाम दर्ज करें.
स्टेप 7: नए पेज से ले जाए जाने वाले सामान की पूरी डिटेल्स भरे. जैसे निचे दिया गया है:
- प्रोडक्ट का नाम और उसकी डिटेल
- प्रोडक्ट का एचएसएन कोड
- प्रोडक्ट की यूनिट
- क्वांटिटी को सही तरह से बताएं
- टैक्स रेट के अनुसार प्रोडक्ट का मूल्य.
- लागू IGST या SGST विवरण
- ई-वे बिल की वैधता
स्टेप 8: इसके बाद वाहन का विवरण विस्तृत रूप में दर्ज करें
स्टेप 9: सभी विवरण दर्ज करने के बाद सबमिट के बटन पर क्लिक करें.
ई-वे बिल जनरेट होकर स्क्रीन पर आ जाएगा. इस बिल को प्रिंट या डाउनलोड कर सकते है.
ई-वे बिल के कुछ प्रमुख फायदे
- इस प्रकार की प्रणाली के द्वारा टैक्स चोरी को ट्रैक किया जा सकता है.
- ई-वे बिल प्रणाली के द्वारा व्यापार के सौदे की परिवहन की रफ्तार में वृद्धि हुई है.
- ई-वे बिल बनाने की प्रक्रिया ऑनलाइन के माध्यम से होती है जिसके द्वारा समय की प्रयाप्त बचत होती है.
- ई-वे बिल परिवहन कर्ता की सुविधा को बढ़ाता है जिसके द्वारा बिल बनाने के लिए एक कतार में खड़े होने की आवश्यकता नही पड़ती है साथ ही इसमें शारीरिक रूप से कार्यालय का दौरा भी नही करना पड़ता है.
ई-वे बिल किसके लिए आवश्यक नहीं है
ई-वे बिल बनाने की आवश्यकता कुछ इस प्रकार की स्थितियों के लिए आवश्यक नहीं रहता है.
- जब एक बिना मोटर वाहन की द्वारा परिवहन का प्रयोग किया जा रहा हो.
- नेपाल या फिर भूटान कैसे कुछ देशों से माल को लाया जा रहा हो या फिर लेकर जाया जा रहा हो.
- रक्षा मंत्रालय को ओर से भेजा गया माल के लिए ई-वे बिल बनाना आवश्यक नहीं रहता है.
- परिवहन की खाली कंटेनर पर.
- राज्य या फिर केंद्रशासित प्रदेश के द्वारा जीएसटी नियम के तहत छूट दिया गया सामान.
- जीएसटी के कानूनों के नियम 138 (14) के तहत अनुबंधन के द्वारा छूट दिए गए सामानों पर.
- अपने सामानों के उत्पादन कार्यालय और 20 किलोमीटर के भीतर वजन स्टेशन के बीच में व्यापार द्वारा माल का आंतरिक परिवहन, बसरते की कोई भी मान्य डिलीवरी समान हो.
- जब वस्तुओं के ट्रांसपोर्टेशन में किए जा रहे सामानों को सीमा शुल्क पर्यवेक्षण या फिर सील के द्वारा अनुमोदित किया जा चुका हो. साथ ही माल को हवाई अड्डे, कार्गो पकड़, बंदरगाह से अंतर्देशीय कंटेनर डिपो या फिर कंटेनर फ्रेंट स्टेशन के लिए सीमा के शुल्क निकासी के लिए ले जाया जा रहा हो.
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ई वे बिल सम्बंधित प्रश्न: FAQs
ई-वे बिल प्रक्रिया के द्वारा टैक्स चोरी को ट्रैक किया जा सकता है. साथ ही ई-वे बिल प्रणाली ने माल की आवजाही के गति को तेज कर दिया है, ताकि टैक्स चोरी जैसे अन्य समस्या से बचा जा सके.
दो व्यापार के सौदे के दौरान माल का मूल्य अगर 50000 रुपए से अधिक का रहता है तो इस स्थिति में माल के रिसीवर या फिर डिलीवर कर्ता के द्वारा ई-वे बिल बनाया जाता है.
ई-वे बिल कुल तीन प्रकार का होता है.
1. ट्रांसपोर्टर 2. प्रेषक 3. रिसीवर
जीएसटी प्रक्रिया के तहत व्यापार में 50 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर होने वाले सौदे के परिवहन में ई-वे बिल बनाना आवश्यक रहता है.
ई-वे बिल एक इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज है. यह टैक्स अधिकारियों को माल की आवाजाही की निगरानी करने, कर चोरी को रोकने और व्यापार में पारदर्शिता बढ़ाने में मदद करता है.
ई-वे-बिल का मतलब किसी माल के परिवहन से जुड़े जानकारी है. जब माल एक से दूसरे स्थान पर जाता है, तो ऑनलाइन दस्तावेज तैयार किया जाता है. इस बिल में ट्रांसपोर्टर व संबंधित माल की जानकारी उपलब्ध होती है.

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