इनकम टैक्स की गणना कैसे करें 2024: जाने आसान तरीका

आज के समय में जब अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है. व्यक्तियों के पास अक्सर व्यापारिक, व्यावसायिक या निजी कमाई के साधन होते हैं. लेकिन इस विकास की सहायता के लिए देश के विकास को भी ध्यान में रखना जरुरी होता है, जिसके लिए भारत सरकार एक निश्चित दर से अधिक आय अर्जित करने वाले व्यापारी या व्यवसायिक व्यक्ति के आय से कुछ धन की कटौती करती है, जिसे इनकम टैक्स कहते हैं.

इनकम टैक्स का प्रक्रिया एक देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने और उसकी प्रगति को समर्थन देने के लिए महत्वपूर्ण है. आयकर को चुकाना प्रत्येक देशवासी का कर्तव्य होता है. आयकर को चुकाने से पहले उसकी गणना की जाती है. तो इस लेख में “इनकम टैक्स की करना कैसे करें” के लिए स्टेप बाय स्टेप प्रोसेस बहुत ही आसान तरीके से बताया गया है.

इनकम टैक्स की गणना कैसे करें

सरकार द्वारा इनकम टैक्स की गणना आपके आय के आधार पर गणना करती है. आपकी आय की जानकारी प्राप्त करने के लिए, आय के सभी स्रोतों का निरक्षण किया जाता है. इनकम टैक्स की गणना करने स्टेप बाय स्टेप प्रक्रिया निचे दिया गया है.

इनकम सोर्स

अपने सभी आय के स्रोतों को इकट्ठा करें. जैसे: वेतन, व्यवसाय आय, पूंजीगत आय, पेंशन, ब्याज आय, और लाभांश आय आदि. इन सभी आय को जोड़ें.

छुट को ध्यान में रखें:

इनकम टैक्स की गणना करते समय कुछ छूट को ध्यान में रखना जरूरी होता है क्योंकि ये छुट, अदा की जाने वाली राशि को कम कर देती है. 

ये छुट होते है जैसे: व्यक्तिगत इनकम टैक्स छूट, घरेलू ऋण छुट, मेडिकल भत्ता और खर्च छूट,  LTA, पीएफ, शिक्षा ऋण छुट, स्वदेशी उद्यम छूट और निवेश छुट आदि.

आइटीआर फॉर्म भरे

आइटीआर फॉर्म को ध्यान से भरें.  इसमें पुरी आय, छूट और कटौतियों की जानकारी देनी होती है. आइटीआर फॉर्म भरने से पहले एक सही फॉर्म का चयन करना जरूरी होता है जो आयकर विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध होते हैं. आइटीआर फॉर्म आय के प्रकार पर आधारित होता है.

टैक्सेबल इनकम निकाले

आयकर विभाग द्वारा निर्धारित छूटों और कटौतियों को आय से कम करके आए की गणना होती है. टैक्सेबल आए वह राशि होती है जिस पर इनकम टैक्स जमा करना होता है.

इनकम टैक्स स्लैब और दर को जाने

इनकम टैक्स की गणना करने के लिए वित्त वर्ष का स्लैब और दर के बारे में जानकारी रखना आवश्यक है जिसमें आय के आधार पर उपयुक्त इनकम टैक्स स्लैब और दर चुनना होता है. स्लैब और दर उस वित्त वर्ष ईयर का होना चाहिए जिस ईयर आयकर गणना है.

टैक्स को कैलकुलेट करें

टैक्सेबल इनकम की गणना करने के बाद यह निर्धारित करना होता है कि टैक्सपेयर को कितना टैक्स देना है, जिसके लिए वे आयकर विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध कर कैलकुलेटर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. टैक्स को समय से ऑनलाइन या ऑफलाइन जमा करें.

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करें

इनकम टैक्स की गणना और कर गणना पूर्ण होने के बाद आईटीआर फाइल किया जाता है. 31 जुलाई आयकर रिटर्न की आखिरी तारीख होती है लेकिन कभी-कभी यह तारीख बढ़ भी जाती है जिसे आयकर विभाग की वेबसाइट से पता किया जा सकता है. ITR  फाइल करने के बाद उसे सत्यापित करें.

इन्वेस्टमेंट का प्रूफ रखें

अगर करदाता निवेश किए हैं जिससे आयकर छूट का लाभ प्राप्त हुआ हैं, तो उन निवेशों के प्रमाण पत्र रखना चाहिए.

इन प्रक्रिया को फॉलो करके आप इनकम टैक्स की गणना आसानी से कर सकते हैं. यदि ऐसा करते समय कोई समस्या उत्पन्न होती है, तो आयकर सलाहकार से सलाह ले सकते हैं फिर अपने कार्य को अंजाम दे सकते हैं, जो देश की सेवा होगी.

इनकम टैक्स की गणना करने के लिए कुछ ध्यान योग्य रखने वाली बातें:

  • इनकम टैक्स की गणना करने के लिए व्यक्ति को आय का विवरण, कटौतियों, छूटों का विवरण और टैक्स स्लैब का ज्ञान होना चाहिए.
  • आयकर की गणना स्वयं से करने के लिए ऑनलाइन कैलकुलेटर ज्यादा सहायक होगा. और इससे गलतियां होने के कम चांसेस होते हैं.
  • जरूरत पड़ने पर किसी कर सलाहकार की मदद लेना चाहिए जिससे यह सुनिश्चित हो सके की कर डाटा अपना कर सही ढंग से दाखिल कर रहा है या नहीं.

इनकम टैक्स की गणना करने के लिए आवश्यक दस्तावेज

इनकम टैक्स की गणना करने के लिए कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता होती है.

  • आयकर पहचान पत्र संख्या (PAN)
  • आयकर रिटर्न फॉर्म
  • बैंक के स्टेटमेंट
  • वेतन प्रमाण पत्र (फॉर्म 16)
  • बैलेंस शीट और लाभ हानि खाता
  • निवेश से संबंधित दस्तावेज
  • घरेलू ऋण से संबंधित दस्तावेज
  • मेडिकल प्रमाण पत्र
  • आयकर छुट के दस्तावेज

यह सभी दस्तावेज इनकम टैक्स की गणना करते समय सहायक हो सकते हैं लेकिन स्थिति और आय के आधार पर गणना करने वाले व्यक्ति को और भी दस्तावेज की आवश्यकता हो सकती है. जिसके बारे में आयकर सलाहकार से सलाह लेना उचित होगा .

वेतनभोगी और पेंशनभोगियों के लिए आयकर छूट

भारतीय आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार, वेतन भोगी और पेंशनर्स दोनों को आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए छूट दी जाती है. वे आयकर में इन सभी कटौती और छूट का लाभ तभी उठा सकते हैं, जब वे पुरानी व्यवस्था के तहत अपना टैक्स फाइल करते हैं.

  • समान कटौती या 50 हजार रुपए
  • हाउस रेंट अलाउंस (HRA)
  • लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA)
  • काम से संबंधित खर्च
  • आयकर के तहत कटौतियां  जैसे की
  • एनपीएस में योगदान
    • जीवन बीमा प्रीमियम
    • एएलएसएस
    • शिक्षा शुल्क
    • स्वास्थ्य बीमा के लिए प्रीमियम
    • शिक्षा ऋण ब्याज का भुगतान
    • बचत खाते पर अर्जित ब्याज

वेतन पर आयकर की गणना कैसे करें?

एक आसान फार्मूला के द्वारा आप आसानी से वेतन पर आयकर की गणना कर सकते हैं जैसे

मूल वेतन + house rent allowance + स्पेशल एलाउंस + ट्रांसपोर्ट अलाउंस + अन्य कोई अलाउंस + वेतन से प्राप्त सकल आय.

यदि कोई कटौती और व्यावसायिक कर हो, तो सकल आय से उसे घटा देते हैं.

नई कर व्यवस्था के तहत कौन सी छूट/कटौतियों की अनुमति नहीं है:

  • मनोरंजन भत्ते के लिए कटौती
  • विशेष छूट जैसे 80c, 80d, 80tta / 80ttb एचआरए (HRA) आदि.
  • छुट्टी यात्रा का भत्ता
  • व्यक्तिगत करदाता के लिए मानक कटौती 50,000 रुपए की
  • खुद के रहने या खाली घर की संपत्ति के लिए लिए गए आवास रेट पर भुगतान किए गए ब्याज पर लाभ
  • वरिष्ठ नागरिकों के लिए मानक कटौती 35,000 रुपए की
  • अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए मानक कटौती ₹50,000 की

नई कर व्यवस्था में इन छुटो और कटौतियों को समाप्त कर दिया गया है.  इसके स्थान पर करदाताओं को 30% की दर से एक आसान कर स्लैब का विकल्प दिया जाता है.

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Income Tax ki Ganana Kaise Kare: FAQs

Q. इनकम टैक्स धारा 80c क्या है?

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80c व्यक्तिगत करदाता और हिंदू अविभाजित परिवारों को कुछ विशेष निवेश और व्यय में किए गए खर्चों के लिए अपनी कर योग्य आय से 1.5 लाख रुपए तक की कटौती का दावा करने की अनुमति देता है. इनमें जीवन बीमा प्रीमियम, बचत योजनाएं, पेंशन योजनाएं, गृह ऋण, और अन्य खर्च शामिल होते हैं.

Q. इनकम टैक्स की गणना कैसे की जाती है?

इनकम टैक्स की गणना आपकी कुल आय के आधार पर की जाती है, जिसमें आय के सभी स्रोत शामिल होते है. जैसे वेतन, व्यवसाय आए, संपत्ति आए, और पूंजीगत लाभ आदि.

Q. इनकम टैक्स की गणना करने की फॉर्मूला क्या है?

इनकम टैक्स की गणना करने का फार्मूला इस प्रकार है:

टैक्सेबल इनकम = टोटल आय – डिडक्शंस (कटौती) और एक्सेंप्शंस (छुट)
 
टैक्स = टैक्सेबल इनकम x टैक्स रेट

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