जीएसटी ई-इनवॉइस एक इलेक्ट्रॉनिक चालान प्रक्रिया है. जो की 1 अक्टूबर 2022 में लागू किया गया था. भारत देश की हरेक 10 करोड़ से अधिक वार्षिक टर्न ओवर वाली सभी कंपनियों एवम कारोबारियों को अपने सभी सौदे या फिर व्यवसाय के लिए जीएसटी ई-इनवॉइस अनिवार्य हो चुका है.
जीएसटी ई-इनवॉइस ठीक उसी तरह से कार्य करता है जैसे की कोई भी जीएसटी रजिस्टर्ड कारोबार में सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में e-way बिल का उपयोग होता है. इसी प्रकार से बिज़नेस-टू-बिजनेस (B2B) लेनदेन के लिए जीएसटी ई-इनवॉइस बनाना अनिवार्य रहता है. इस पोस्ट में जीएसटी ई इनवॉइस क्या और कैसे बनाए की पूरी जानकारी उपलब्ध है, जो इनवॉइस बनाने में आपका मदद कर सकता है.
जीएसटी ई-इनवॉयस क्या है?
जीएसटी ई-इनवॉइस की सहायता से किसी भी व्यवसाय या फिर सौदे के सामान्य रसीद को जीएसटीएन नेटवर्क द्वारा इलेक्ट्रॉनिक प्रक्रिया द्वारा इसकी पुष्टि की जाती है. जीएसटी ई-इनवॉइस पद्धति लागू होने से सभी कारोबार से संबंधित जानकारी को ऑनलाइन के माध्यम से तुरंत सरकार के पास सभी जानकारी पहुंचती रहती है जिसके द्वारा टैक्स चोरी की कोई संभावना नहीं रहती है. साथ ही इसके द्वारा फर्जी बिल बनाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट लेन देन पर भी रोक लगाया जा सकता है.
जीएसटी ई-इनवॉइस दो व्यवसाय के बीच में होने वाले सौदे पर लागू होता है. किसी भी कारोबार के वस्तुओं एवम सेवाओं या फिर दोनो तरह के सप्लाई के संबंध में इसका प्रयोग होता है. जीएसटी ई-इनवॉइस पद्धति मुख्य रूप से बिजनेस या फिर कारोबारियों के बीच में होने वाली टैक्स की चोरी को रोकने के लिए लागू किया गया है. अतः जीएसटी ई-इनवॉइस का प्रयोग बिजनेस-टू-बिज़नेस (B2B) के बीच में होने वाले सौदे पर लागू होता है.
जीएसटी ई-इनवॉयस के लिए पात्रता
- सालाना 10 करोड़ रुपए से अधिक के टर्न ओवर वाले कारोबार के लेन देन के लिए जीएसटी ई-इनवॉइस बनाना अनिवार्य है.
- जीएसटी ई-इनवॉइस को दो बिजनेस के मध्य होने वाले कारोबार के मामले में बनाना आवश्यक रहता है.
Note : ध्यान रहे की जीएसटी ई-इनवॉइस का मतलब जीएसटी पोर्टल पर इनवॉइस तैयार करने की प्रक्रिया से बिलकुल ही अलग होता है. इसका मतलब पहले से ईआरपी या फिर अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर पर तैयार की गई रसीदों को जीएसटी नेटवर्क की सहायता से सत्यापित कर देने भर से रहता है. इस प्रक्रिया द्वारा हरेक रसीद के सत्यापन के पश्चात उसके लिए एक आईआरएन नंबर जारी किया जाता है.
जीएसटी ई-इनवॉयस के लिए टर्नओवर की लिमिट
- किसी भी कारोबार या व्यवसार के सालाना 10 करोड़ से अधिक के टर्न ओवर वाले बिजनेस या कंपनियों के लेन देन के लिए जीएसटी ई-इनवॉइस बनाना आवश्यक रहता है.
- जीएसटी ई-इनवॉइस को आने वाले समय में 1 जनवरी 2023 से 5 करोड़ सालाना पर के टर्न ओवर वाले बिजनेस पर भी बनाना अनिवार्य हो जाएगा.
- 1 अप्रैल 2023 से 1 करोड़ सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों व कंपनियों पर भी जीएसटी ई-इनवॉइस लागू कर दिया जाएगा. ताकि ज्यादा से ज्यादा कारोबारियों को E-Invoicing के दायरे में लाया जा सके.
जीएसटी ई-इनवॉयस जारी ना करने पर क्या पेनल्टी लगती है
सरकार के द्वारा निर्धारित सलाना टर्न ओवर वाले बिजनेस या कंपनी जीएसटी ई-इनवॉइस को तैयार नहीं करता है तो सरकार द्वारा सुनिश्चित कानून के अनुसार पेनल्टी लगाया जाता है. इसमें कारोबारी से या तो पूरा बकाया हुआ टैक्स को वसूला जा सकता है या फिर 10 हजार रुपए प्रति रसीद के अनुसार से जुर्माना लगाया जा सकता है.
इस प्रकार से कारोबारी को जीएसटी ई-इनवॉइस के नियम को न मानने पर सरकार द्वारा पेनल्टी लगाया जा सकता है. इसके बाद अगर कारोबारी ऐसी रसीद जारी करता है जिसपर IRN नंबर और साइन किया हुआ QR कोड दर्ज किया हुआ नही है तो ऐसे में पूरा गलत रसीद माना जायेगा और कारोबारी को इसके लिए 25 हजार प्रति रसीद के अनुसार से सरकार को पेनल्टी का भुगतान करना पड़ेगा.
जीएसटी ई-इनवॉइस कैसे बनाए?
इलेक्ट्रॉनिक रूप से इनवॉइस बनाने के लिए कुछ जानकारी को निर्धारित क्रम में संयोजित किया जाता है. ताकि Invoice Registration Portal इस अच्छे से स्वीकार कर सके. ERP/अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर पर invoice की सुचना में निम्न प्रकार की जानकारी उपलब्ध होता है.
- डॉक्यूमेंट टाइप कोड
- सप्लायर का लीगल नेम
- सप्लायर का GSTIN नंबर
- Address: बिल्डिंग नंबर/ फ्लैट नंबर, रोड/ गली संख्या आदि.
- पिन कोड नंबर
- डॉक्यूमेंट नंबर
- सप्लाई प्राप्त करने वाले का लीगल नेम
- खरीदार के राज्य की कोड संख्या
- IRN (इनवॉइस रिफरेंस नंबर), आदि.
- उपरोक्त सभी आवश्यक जानकारी सिस्टम पर सबमिट करने के बाद उसे सत्यापित किया जाएगा.
- इसके बाद सिस्टम के तरफ से एक यूनिक IRN नंबर जारी किया जाएगा.
- डिजिटल साइन करने के बाद एक QR कोड जेनेरेट होगा, जिसमे सभी आवश्यक जानकारी उपलब्ध होगा.
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जीएसटी ई इनवॉइस सम्बंधित प्रश्न: FAQs
इसके लिए कोई निश्चित समय सीमा नहीं है. हालांकि जीएसटी चालान के डेट पर या फिर उसके बाद GSTR-1 रिटर्न भरने से पहले जीएसटी ई-इनवॉइस को बनाना आवश्यक रहता है.
जीएसटी ई-इनवॉइस नंबर एक यूनिक कोड होता है जो की कंप्यूटर प्रणाली के द्वारा तैयार होता है. इनवॉइस नंबर बहुत ही आवश्यक होता है. जिसके द्वारा ही भुगतान किए गए पेमेंट को ट्रैक किया जाता है. साथ ही जारी हो चुके हरेक इनवॉइस को एक यूनिक इनवॉइस नंबर प्रदान कराता है. इनवॉइस नंबर हमेशा इनवॉइस पर साफ तरीके से दिखाई पड़ता है.
जीएसटी ई-इनवॉइस तैयार करने के लिए आपको मुख्य रूप से 3 स्टेप्स को पूरा करना होता है. स्टेप 1. किसी अकाउंट सॉफ्टवेयर पर इनवॉस तैयार करें स्टेप 2. उस रसीद के लिए एक IRN नंबर मिलेगा स्टेप 3. इनवॉइस का QR कोड बना लें.
सबसे पहले ई-चालान के पोर्टल पर जाए, पंजीकरण मेनू पर क्लिक करें उसके बाद ई-चालान सक्षम पर क्लिक करें.कारोबार का एक विशेष जीएसटीआईएन दर्ज करें एवम ओटीपी मिलने के बाद उसे पुष्टि करें. संबंधित वित्तीय साल के अनुसार वार्षिक टर्न ओवर की जानकारी सबमिट करें और उसे जमा कर दें.
शरांश:
जीएसटी e-Invoicing ऐसा सिस्टम है, जिसके द्वारा किसी सौदे की सामान्य रसीद को GSTN नेटवर्क द्वारा इलेक्ट्रॉनिक तरीके से सत्यापित किया जाता है. जीएसटी नेटवर्क (GSTN) के इनवॉइस रजिस्ट्रेशन पोर्टल (IRP) द्वारा, प्रत्येक रसीद के लिए एक नंबर या पहचान संख्या जारी किया जाता है. इस पोस्ट में ई-इनवॉयस से जुड़े सभी जानकारी बताया गया है. अब आपको ई-इनवॉयस बनने में भी कोई परेशानी नही होगी.
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